⚙️ डिजिटल ड्राइव, डेटा चोरी: आपकी गाड़ी में छिपा खतरा
“जितनी हमारी मशीनें स्मार्ट होती जा रही हैं, उतना ही वो सड़क से ज़्यादा हमारे बारे में सीख रही हैं।”
🖊️ शुभ्रा • 05th नवंबर, 2025 • साइबर सुरक्षा जागरूकता और डिजिटल निजता संरक्षण
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“वो कार जो ज़्यादा याद रखती थी”
राहुल अपनी दो साल पुरानी सेडान बेच रहा था।
उसने सीटें साफ कीं, टायर चेक किए, यहाँ तक कि इंफोटेनमेंट स्क्रीन से अपनी म्यूज़िक प्लेलिस्ट भी डिलीट कर दी।
लेकिन जैसे ही नए खरीदार ने अपना फोन जोड़ा, कुछ अजीब हुआ —
राहुल के पुराना घर का पता, कॉन्टैक्ट लिस्ट और कॉल हिस्ट्री फिर से डैशबोर्ड पर दिखने लगे।
दरअसल, उसकी “स्मार्ट” कार ने चुपचाप सालों का निजी डेटा अपने पास रख लिया था —
GPS रूट्स से लेकर सिंक किए गए मैसेज तक।
और राहुल ने कभी उसे ऐसा करने को कहा भी नहीं था।
आपकी कार के अंदर असल में क्या चल रहा है?
आज की कारें सिर्फ इंजन नहीं हैं — ये चलती-फिरती कंप्यूटर हैं,
जिनमें दर्जनों सेंसर, माइक्रोफोन, कैमरे और ऐप्स लगे होते हैं।
हर बार जब आप:
-
मैप्स या म्यूज़िक के लिए फोन कनेक्ट करते हैं 🎵
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वॉयस कमांड का इस्तेमाल करते हैं 🎙️
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“सेव रूट” पर क्लिक करते हैं 🗺️
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हैंड्स-फ्री कॉल के लिए कॉन्टैक्ट्स सिंक करते हैं ☎️
तो आपकी कार चुपचाप आपका निजी डेटा इकट्ठा कर रही होती है —
नाम, मैसेज, लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स, वॉयस रिकॉर्डिंग्स,
यहाँ तक कि कुछ कारें ड्राइवर की नज़र और चेहरे के हावभाव से बायोमेट्रिक डेटा भी लेती हैं।
Mozilla की एक रिपोर्ट के अनुसार, 84% कार ब्रांड जरूरत से ज़्यादा व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा करते हैं —
और कई कंपनियाँ यह डेटा विज्ञापनदाताओं, बीमा कंपनियों,
यहाँ तक कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा भी करती हैं —
वो भी बिना आपकी सीधी अनुमति के।
छिपे हुए खतरे
🔹 लोकेशन ट्रैकिंग:
आपकी रोज़मर्रा की यात्रा यह बता सकती है कि आप कहाँ रहते हैं, कहाँ काम करते हैं, और कहाँ जाते हैं —
यह जानकारी किसी भी विज्ञापनदाता या स्टॉकर के लिए खजाना है।
🔹 डेटा बिक्री:
ऑटोमेकर्स या थर्ड-पार्टी सर्विसेज़ आपका ड्राइविंग डेटा बेच सकती हैं।
🔹 हैकिंग जोखिम:
इंफोटेनमेंट सिस्टम या ब्लूटूथ लिंक से हैकर्स आपके मैसेज या कॉन्टैक्ट्स तक पहुंच सकते हैं।
🔹 रीसेल एक्सपोज़र:
कार बेचने या किराए पर देने के बाद भी, पुराना डेटा अगला यूज़र देख सकता है।
कैसे पहचानें कि आपकी कार ‘डेटा-भूखी’ है
अगर आपकी गाड़ी ये करती है, तो सावधान हो जाएँ:
🚘 “क्लाउड से कनेक्ट करें” का नोटिफिकेशन दिखाती है।
📲 कॉन्टैक्ट्स या मैसेज सिंक करने को कहती है।
🧠 “पर्सनलाइज़्ड ड्राइविंग एक्सपीरियंस” ऑफर करती है।
🔊 वॉयस कमांड रिकॉर्ड या ट्रांसक्राइब करती है।
ये सुविधाएँ नहीं हैं —
ये डेटा इकट्ठा करने के तरीके हैं, जो फीचर के नाम पर बेचे जा रहे हैं।
खुद को कैसे बचाएँ
✅ सब कुछ सिंक न करें:
फोन कनेक्ट करते समय सिर्फ ज़रूरी चीज़ें चुनें (जैसे ऑडियो, न कि कॉन्टैक्ट्स)।
✅ डेटा सेटिंग्स चेक करें:
नई कारों के इंफोटेनमेंट सिस्टम में “प्राइवेसी” सेक्शन होता है —
वहाँ “शेयर एनालिटिक्स” या “व्हीकल डेटा शेयरिंग” को बंद करें।
✅ बेचने से पहले रीसेट करें:
कार बेचने या किराए पर देने से पहले सिस्टम को फैक्ट्री रीसेट करें, जैसे आप फोन करते हैं।
✅ गेस्ट मोड इस्तेमाल करें:
कई कारों में अब “गेस्ट” या “टेम्परेरी प्रोफाइल” का ऑप्शन मिलता है।
✅ ऑफलाइन रहें जब संभव हो:
ऑफलाइन मैप्स का उपयोग करें या ऑटो-सिंक बंद करें।
✍️ लेखिका का नोट:
— शुभ्रा (लेखिका)
🔐 सुरक्षित रहें । खुश रहें ।
🚦 अपनी सवारी पर नियंत्रण करें
🔍 आज ही अपनी कार चेक करें:
इंफोटेनमेंट सेटिंग्स में जाएँ और देखें क्या स्टोर हो रहा है —
कॉन्टैक्ट्स, रूट्स, कॉल लॉग्स, क्लाउड कनेक्शन।
🧠 बात शुरू करें:
यह पोस्ट किसी ऐसे व्यक्ति से शेयर करें जो कनेक्टेड कार चलाता है —
ज़्यादातर लोगों को अंदाज़ा ही नहीं कि उनकी कार चुपचाप उनका डिजिटल प्रोफाइल बना रही है।
💬 अभियान में जुड़ें:
#SmartCarPrivacy टैग के साथ जागरूकता फैलाएँ —
आइए, प्राइवेसी को अगली ज़रूरी कार फीचर बनाते हैं।

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